किसी ने पूछा, "जीवन क्या है?"
एक उत्तम उत्तर
जब मनुष्य जन्म लेता है तो उसके पास सांसे तो होती हैं पर कोई नाम नहीं होता और जब मनुष्य की मृत्यु होती है तो उसके पास नाम तो होता है पर सांसे नहीं होती। इसी सांसे और नाम के बीच की यात्रा को "जीवन" कहते हैं।
जब मनुष्य जन्म लेता है तो उसके पास सांसे तो होती हैं पर कोई नाम नहीं होता और जब मनुष्य की मृत्यु होती है तो उसके पास नाम तो होता है पर सांसे नहीं होती। इसी सांसे और नाम के बीच की यात्रा को "जीवन" कहते हैं।
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खूबसूरत लाइन !
एक सच छुपा होता है जब कोई कहता है -- "मजाक था यार"
एक फीलिंग छुपी होती है जब कोई कहता है
"मुझे कोई फर्क नही पङता'
एक दर्द छुपा होता है जब कोई कहता है --- "Its ok"
एक जरूरत छुपी होती है जब कोई कहता है
"मुझे अकेला छोङ दो"
एक गहरी बात छुपी होती है जब कोई कहता है --"पता नही"
एक बातों का समंदर छुपा है जब कोई खामोश रहता है
इसीलिए एक ओपन हार्ट सर्जरी की यूनिट के बाहर लिखा था कि..
अगर दिल खोल लेते अपने यारों के साथ
तो आज नही खोलना पङता औजारों के साथ.!
तो आज नही खोलना पङता औजारों के साथ.!
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एक सैनिक ने क्या खूब कहा है
किसी गजरे की खुशबु को, महकता छोड़ के आया हूँ.
मेरी नन्ही सी चिड़िया को, चहकता छोड़ के आया हूँ.
मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना, ऐ भारत माँ,
में अपनी माँ की बाहों को, तरसता छोड़ आया हूँ.
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परिवर्तन देखिये
1- पहले लोग घर के दरवाजे पर एक आदमी तैनात करते थे
ताकि कोई कुत्ता घर में न घुस जाये।
आजकल घर के दरवाजे पर कुत्ता तैनात करते हैं
ताकि कोई आदमी घर में न घुस जाए।
ताकि कोई कुत्ता घर में न घुस जाये।
आजकल घर के दरवाजे पर कुत्ता तैनात करते हैं
ताकि कोई आदमी घर में न घुस जाए।
2- पहले आदमी खाना घर में खाता था
और लैट्रीन घर के बाहर करने जाता था।
अब खाना बाहर खाता है
और लैट्रीन घर में करता है।
और लैट्रीन घर के बाहर करने जाता था।
अब खाना बाहर खाता है
और लैट्रीन घर में करता है।
3- पहले शादियों में घर की औरतें खाना बनाती थीं
और नाचने वाली बाहर से आती थीं।
अब खाना बनाने वाले बाहर से आते हैं
और घर की औरतें नाचती हैं।
और नाचने वाली बाहर से आती थीं।
अब खाना बनाने वाले बाहर से आते हैं
और घर की औरतें नाचती हैं।
4- पहले आदमी साइकिल चलाता था
और गरीब समझा जाता था।
अब आदमी कार से ज़िम जाता है
साइकिल चलाने के लिए।
और गरीब समझा जाता था।
अब आदमी कार से ज़िम जाता है
साइकिल चलाने के लिए।
**********************
विचित्र दुनिया का कठोर सत्य..
बारात मे दुल्हे सबसे पीछे
और दुनिया आगे चलती है,
मय्यत मे जनाजा आगे
और दुनिया पीछे चलती है..
यानि दुनिया खुशी मे आगे
और दुख मे पीछे हो जाती है..!
अजब तेरी दुनिया, गज़ब तेरा खेल
मोमबत्ती जलाकर मुर्दों को याद करना
और मोमबत्ती बुझाकर जन्मदिन मनाना...
वाह रे दुनिया !
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लाइन छोटी है,पर मतलब बहुत बड़ा है ~
उम्र भर उठाया बोझ उस कील ने ...
और लोग तारीफ़ तस्वीर की करते रहे ..
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पायल हज़ारो रूपये में आती है, पर पैरो में पहनी जाती है
और..बिंदी एक रूपये में आती है मगर माथे पर सजाई जाती है
इसलिए कीमत मायने नहीं रखती उसका कृत्य मायने रखता हैं.
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एक किताबघर में पड़ी गीता और कुरान आपस में कभी नहीं लड़ते,
और जो उनके लिए लड़ते हैं वो कभी उन दोनों को नहीं पढ़ते....
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नमक की तरह कड़वा ज्ञान देने वाला ही सच्चा मित्र होता है,
मिठी बात करने वाले तो चापलुस भी होते है।
इतिहास गवाह है की आज तक कभी नमक में कीड़े नहीं पड़े।
और मिठाई में तो अक़्सर कीड़े पड़ जाया करते है...
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अच्छे मार्ग पर कोई व्यक्ति नही जाता पर बुरे मार्ग पर सभी जाते है......
इसीलिये दारू बेचने वाला कहीं नही जाता ,
पर दूध बेचने वाले को घर-घर
गली -गली , कोने- कोने जाना पड़ता है ।
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दूध वाले से बार -बार पूछा जाता है कि पानी तो नही डाला ?
पर दारू मे खुद हाथो से पानी मिला-मिला कर पीते है ।
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खूबसूरत लाइन
इंसान की समझ सिर्फ इतनी हैं
कि उसे "जानवर" कहो तो
नाराज हो जाता हैं और
"शेर" कहो तो खुश हो जाता हैं!
अच्छा वक़्त उसी का होता हैं..
जो किसी का बुरा नहीं सोचते हैं...
ये सृष्टि कहती है मत सोच की तेरा
सपना क्यों पूरा नहीं होता
हिम्मत वालो का इरादा
कभी अधुरा नहीं होता।
जिस इंसान के कर्म अच्छे होते है
उस के जीवन में कभी अँधेरा नहीं होता।
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"कर्म" एक ऐसा रेस्टोरेंट है ,
जहाँ ऑर्डर देने की जरुरत नहीं है
जहाँ ऑर्डर देने की जरुरत नहीं है
हमें वही मिलता है जो हमने पकाया है।
जिंदगी की बैंक में जब
" प्यार " का " बैलेंस " कम हो जाता है
तब " हंसी-खुशी " के चेक बाउंस होने लगते हैं।
इसलिए हमेशा अपनों के साथ
नज़दीकियां बनाए रखिए ।
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रोने से तो आंसू भी पराये हो जाते हैं,
लेकिन मुस्कुराने से...
पराये भी अपने हो जाते हैं !
मुझे वो रिश्ते पसंद है,
जिनमें " मैं " नहीं " हम " हो !!
इंसानियत दिल में होती है,
हैसियत में नही,
उपरवाला कर्म देखता है,
वसीयत नही..!
***********************************
*घमंड* और *पेट*
जब ये दोनों बढतें हैं..
तब *इन्सान* चाह कर भी
किसी को गले नहीं लगा सकता..
जिस प्रकार नींबू के रस की एक बूँद
हज़ारों लीटर दूध को बर्बाद कर देती है...
...उसी प्रकार...
*मनुष्य* *का* *अहंकार*
भी अच्छे से अच्छे संबंधों को
बर्बाद कर देता है".!!
***********************************
अर्जून ने कृष्ण से पुछा..
"ज़हर क्या है"..?
कृष्ण ने बहुत सुन्दर जबाब दिया...
"हर वो चीज़ जो ज़िन्दगी में
आवश्यकता से अधिक होती है वही ज़हर है"..
फ़िर चाहे वो ताक़त हो, धन हो, भूख हो, लालच हो,
अभिमान हो, आलस हो, महत्वकाँक्षा हो, प्रेम हो या घृणा..
अभिमान हो, आलस हो, महत्वकाँक्षा हो, प्रेम हो या घृणा..
आवश्यकता से अधिक "ज़हर" ही है..
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मैं "किसी से" बेहतर करुं
क्या फर्क पड़ता है..!
मै "किसी का" बेहतर करूं
बहुत फर्क पड़ता है..!!
एक काफिला सफ़र के दौरान अँधेरी सुरंग से गुजर रहा था। उनके पैरों में कंकरिया चुभी, कुछ लोगों ने इस ख्याल से कि किसी और को ना चुभ जाये, नेकी की खातिर उठाकर जेब में रख ली।कुछ ने ज्यादा उठाई कुछ ने कम। जब अँधेरी सुरंग से बाहर आये तो देखा वो हीरे थे। जिन्होंने कम उठाये वो पछताए कि ज्यादा क्यों नहीं उठाए । जिन्होंने नहीं उठाए वो और पछताए। दुनिया में जिन्दगी की मिसाल इस अँधेरी सुरंग जैसी है और नेकी यहाँ कंकरियों की मानिंद है। इस जिंदगी में जो नेकी की वो आखिर में हीरे की तरह कीमती होगी और इन्सान तरसेगा कि और ज्यादा क्यों ना की।
एक खूबसूरत सोच
अगर कोई पूछे कि जिंदगी में क्या खोया और क्या पाया ? ..तो बेशक कहना, जो कुछ खोया वो मेरी नादानी थी और जो भी पाया वो प्रभू की मेहेरबानी थी। क्या खुबसूरत रिश्ता है मेरे और मेरे भगवान के बीच में, ज्यादा मैं मांगता नहीं और कम वो देता नहीं..”॥
*************************************
जीवन के तीन मंत्र
*आनंद में - वचन मत दीजिये*
*क्रोध में - उत्तर मत दीजिये*
*दुःख में - निर्णय मत लीजिये*
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जीवन मंत्र
१) धीरे बोलिये 👉 शांति मिलेगी
२) अहम छोड़िये 👉 बड़े बनेंगे
३) भक्ति कीजिए 👉 मुक्ति मिलेगी
४) विचार कीजिए 👉 ज्ञान मिलेगा
५) सेवा कीजिए 👉 शक्ति मिलेगी
६) सहन कीजिए 👉 देवत्व मिलेगा
७) संतोषी बनिए 👉 सुख मिलेगा
"इतना छोटा कद रखिए कि सभी आपके साथ बैठ सकें। और इतना बड़ा मन रखिए कि जब आप खड़े हो जाऐं, तो कोई बैठा न रह सके।"
************************************
शानदार बात
झाड़ू जब तक एक सूत्र में बँधी होती है, तब तक वह "कचरा" साफ करती है। लेकिन वही झाड़ू जब बिखर जाती है, तो खुद कचरा हो जाती है। इस लिये, हमेशा संगठन से बंधे रहें , बिखर कर कचरा न बनें।
*नेक लोगों की संगत से*
*हमेशा भलाई ही मिलती हे,*
*क्यों कि*.....ll
*हवा जब फूलो से गुज़रती हे
तो वो भी खुश्बुदार हो जाती हे*.!
*************************************
*"अनमोल संदेश"*
दुनिया की ताकतवर चीज है *"लोहा"*
जो सबको काट डालता है ....
लोहे से ताकतवर है *"आग"*
जो लोहे को पिघला देती है....
आग से ताकतवर है *"पानी"*
जो आग को बुझा देता है....
और पानी से ताकतवर है *"इंसान"*
जो उसे पी जाता है....
इंसान से भी ताकतवर है *"मौत"*
जो उसे खा जाती है....
और मौत से भी ताकतवर है *"दुआ"*
जो मौत को भी टाल सकती है...!
*************************************
मस्तक को थोड़ा झुकाकर देखिए
....अभिमान मर जाएगा
आँखें को थोड़ा भिगा कर देखिए
.....पत्थर दिल पिघल जाएगा
दांतों को आराम देकर देखिए
.....स्वास्थ्य सुधर जाएगा
जिव्हा पर विराम लगा कर देखिए
.....क्लेश का कारवाँ गुज़र जाएगा
इच्छाओं को थोड़ा घटाकर देखिए
......खुशियों का संसार नज़र आएगा
पूरी जिंदगी हम इसी बात में गुजार देते हैं
कि "चार लोग क्या कहेंगे",
और अंत में चार लोग बस यही कहते हैं
कि "राम नाम सत्य है"...
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*"माली प्रतिदिन पौधों को पानी देता है मगर फल सिर्फ मौसम में ही आते हैं* *इसीलिए* *जीवन* *में* *धैर्य* *रखें* *प्रत्येक चीज* *अपने समय पर होगी*
*प्रतिदिन* *बेहतर काम करे आपको* *उसका फल समय पर जरूर* *मिलेगा*।।"
************************************
जमीन अच्छी हो
खाद अच्छा हो
परंतु 'पानी' अगर
'खारा' हो तो
फूल खिलते नहीं ।
भाव अच्छे हो
कर्म भी अच्छे हो
मगर 'वाणी' खराब हो तो
'सम्बन्ध' कभी टिकते नहीं।
**********************
*आज एक नई सीख़ मिली*
जब अँगूर खरीदने बाजार गया ।
पूछा *"क्या भाव है?*
बोला : *"80 रूपये किलो ।"*
पास ही कुछ अलग-अलग टूटे हुए अंगूरों के दाने पडे थे ।
मैंने पूछा: *"क्या भाव है" इनका ?"*
वो बोला : *"30 रूपये किलो"*
मैंने पूछा : "इतना कम दाम क्यों..?
वो बोला : "साहब, हैं तो ये भी बहुत बढीया..!
लेकिन ... *अपने गुच्छे से टूट गए हैं ।"*
मैं समझ गया कि ... *संगठन...समाज* और *परिवार* से अलग होने पर हमारी कीमत...आधे से भी कम रह जाती है।
कृपया अपने *परिवार* एवम् *मित्रो*से हमेशा जुड़े रहे।
*************************************
विचार ऐसे रखो की तुम्हारे
विचारो पर भी किसी को विचार करना पड़े
समुद्र बनकर क्या फायदा
बनना है तो छोटा तालाब बनो
जहाँपर शेर भी पानी पीयें तो
गर्दन झूकाकर
************************************
*"फलदार पेड़ और गुणवान*
*व्यक्ति ही झुकते है,*
*सुखा पेड़ और मुर्ख*
*व्यक्ति कभी नहीं झुकते ।*
*कदर किरदार की होती है*
*… वरना…कद में तो साया भी*
*इंसान से बड़ा होता है..!!"*
**********************
दुनिया का सबसे खूबसूरत पौधा,
"प्रेम" और "स्नेह" का होता है..!
जो जमीन पर नहीं,
दिलों में उगता है ..!!
"राहत" भी अपनों से मिलती है,
"चाहत" भी अपनों से मिलती है ..!
अपनों से कभी रूठना नहीं,
क्योंकि, "मुस्कुराहट" भी सिर्फ,
अपनों से मिलती है ..!!
मैं रूठा, तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन?
आज दरार है, कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन?
मैं चुप, तुम भी चुप
इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन?
बात छोटी को लगा लोगे दिल से,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन?
दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर,
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन?
न मैं राजी, न तुम राजी,
फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन?
डूब जाएगा यादों में दिल कभी,
तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन?
एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन?
ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए?
फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन?
मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें.
तो कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन?
ना मुसलमान खतरे में है,
ना हिन्दू खतरे में है
धर्म और मज़हब से बँटता
इंसान खतरे में है।।
ना राम खतरे में है,
ना रहमान खतरे में है
सियासत की भेट चढ़ता
भाईचारा खतरे में है।।
ना कुरआन खतरे में है,
ना गीता खतरे में है
नफरत की दलीलों से
इन किताबो का ज्ञान खतरे में है।।
ना मस्जिद खतरे में है,
ना मंदिर खतरे में है
सत्ता के लालची हाथो,
इन दीवारो की बुनियाद खतरे में है।।
ना ईद खतरे में है,
ना दिवाली खतरे में है
गैर मुल्कों की नज़र लगी है,
हमारा सदभाव खतरे में है।।
धर्म और मज़हब का चश्मा
उतार कर देखो दोस्तों
अब तो हमारा
हिन्दुस्तान खतरे में है |
एक बनो, नेक
ना हिन्दू बनो ना मुसलमान बनो,
अरे पहले ढंग से इंसान तो बनो।।
*जीवन* में आपसे *कौन मिलेगा,*
ये *समय* तय करेगा.
*जीवन* में आप *किस से मिलेंगे,*
ये आपका *दिल* तय करेगा
*_परंतु_*
*जीवन* में आप
किस-किस के *दिल* में बने रहेंगे,
यह आपका *व्यवहार* तय करेगा..
**********************
*सकारात्मकता*
*FAIL* होने पर कभी भी हार न मानें क्योंकि *F.A.I.L. (First Attempt In Learning)* का अर्थ होता है "सीखने की आपकी पहली कोशिश"...
*END* भी अंत नहीं होता, क्योंकि *E.N.D.(Effort Never Dies)* का अर्थ होता है "कोशिश कभी बेकार नहीं जाती"...
*NO* में आपको जवाब मिलता है, तो भी कोई बात नहीं क्योंकि *N.O.(Next Opportunity)* का अर्थ होता है "अगला अवसर"|
इसलिए हमेशा *POSITIVE* बने रहिए...
– *ए.पी.जे. अब्दुल कलाम*
*************************************
किसी शायरने मौत को क्या खुब कहा है;
जिंदगी मे २ मिनट कोई मेरे पास ना बैठा.,
आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे.
कोई तौफा ना मिला आज तक
और आज फुल हि फुल दिये जा रहे थे.
तरस गये थे हम किसी एक हाथ के लिये,
और आज कंधे पे कंधे दिये जा रहे थे.
दो कदम साथ चलने को तैयार न था कोई,
और आज काफिला बन साथ चले जा रहे थे.
आज पता चला मुझे कि "मौत" कितनी हसिन होती है..
कम्बख्त. हम तो युहि जिंदगी' जिये जा रहे थे !
जीवन से जो भी मिले, उसे पचाना सीखो..
क्योंकि भोजन ना पचने पर चर्बी बढ़ती है.
पैसा ना पचने पर दिखावा बढ़ता है..
बात ना पचने पर चुगली बढ़ती है..
प्रशंसा ना पचने से अहंकार बढ़ता है..
निंदा ना पचने पर दुश्मनी बढ़ती है..
राज़ ना पचने पर खतरा बढ़ता है..
दुख ना पचने पर निराशा बढ़ती है..
और सुख ना पचने पर पाप बढ़ता है..
कड़वा है, किन्तु सत्य है यह..
************************************
*बहुत सुन्दर पंक्ति*
*जो मुस्कुरा रहा है,*
उसे दर्द ने पाला होगा...,
*जो चल रहा है,*
उसके पाँव में छाला होगा...,
बिना संघर्ष के इन्सान
चमक नहीं सकता, यारों...,
जो जलेगा उसी दिये से तो,
उजाला होगा...।
उदास होने के लिए उम्र पड़ी है,
नज़र उठाओ सामने ज़िंदगी खड़ी है..
*************************************
आग लगी थी मेरे घर में
सब जानने वाले आये,
हाल पुछा और चले गये...
एक सच्चे दोस्त ने पूछा -:
"क्या क्या बचा है?
मैने कहा, कुछ नहीं"
सिर्फ मैं बच गया हूँ !!
उसने गले लगाकर कहा,
साले ! "फिर जला ही क्या है।।"
*************************************
"असली हीरे की चमक नहीं जाती;
अच्छी यादों की कसक नहीं जाती;
कुछ दोस्त होते हैं इतने ख़ास;
कि दूर रहने पर भी उनकी महक नहीं जाती।"
बहुत ही सुंदर पंक्तियां है,
जब भी अपनी शख्शियत पर अहंकार हो,
एक फेरा शमशान का जरुर लगा लेना।
और....
जब भी अपने परमात्मा से प्यार हो,
किसी भूखे को अपने हाथों से खिला देना।
जब भी अपनी ताक़त पर गुरुर हो,
एक फेरा वृद्धा आश्रम का लगा लेना।
और….
जब भी आपका सिर श्रद्धा से झुका हो,
अपने माँ बाप के पैर जरूर दबा देना।
जीभ जन्म से होती है और मृत्यु तक रहती है क्योकि वो कोमल होती है.
दाँत जन्म के बाद में आते है और मृत्यु से पहले चले जाते हैं...
क्योकि वो कठोर होते है।
छोटा बनके रहोगे तो मिलेगी हर
बड़ी रहमत...
बड़ा होने पर तो माँ भी गोद से उतार
देती है..
किस्मत और पत्नी
भले ही परेशान करती है लेकिन
जब साथ देती हैं तो
ज़िन्दगी बदल देती हैं.।।
"प्रेम चाहिये तो समर्पण खर्च करना होगा।
विश्वास चाहिये तो निष्ठा खर्च करनी होगी।
साथ चाहिये तो समय खर्च करना होगा।
किसने कहा रिश्ते मुफ्त मिलते हैं ।
मुफ्त तो हवा भी नहीं मिलती ।
एक साँस भी तब आती है,
जब एक साँस छोड़ी जाती है!!"?.:
नंगे पाँव चलते “इन्सान” को लगता है
कि “चप्पल होते तो क अच्छा होता”
बाद मेँ……….
“साइकिल होती तो कितना अच्छा होता”
उसके बाद में………
“मोपेड होता तो थकान नही लगती”
बाद में………
“मोटर साइकिल होती तो बातो-बातो मेँ
रास्ता कट जाता”
फिर ऐसा लगा की………
“कार होती तो धूप नही लगती”
फिर लगा कि,
“हवाई जहाज होता तो इस ट्रैफिक का झंझट
नही होता”
जब हवाई जहाज में बैठकर नीचे हरे-भरे घास के मैदान देखता है तो सोचता है,
कि “नंगे पाव घास में चलता तो दिल
को कितनी “तसल्ली” मिलती”…..
” जरुरत के मुताबिक “जिंदगी” जिओ – “ख्वाहिश”...के मुताबिक नहीं…
क्योंकि ‘जरुरत’
तो ‘फकीरों’ की भी ‘पूरी’ हो जाती है,
और ‘ख्वाहिशें’….‘बादशाहों ‘ की भी “अधूरी” रह जाती है”….
“जीत” किसके लिए, ‘हार’ किसके लिए
‘ज़िंदगी भर’ ये ‘तकरार’ किसके लिए…
जो भी ‘आया’ है वो ‘जायेगा’ एक दिन
फिर ये इतना “अहंकार” किसके लिए…
ए बुरे वक़्त ! ज़रा “अदब” से पेश आ !!
“वक़्त” ही कितना लगता है
“वक़्त” बदलने में………
मिली थी ‘जिन्दगी’ , किसी के
‘काम’ आने के लिए…..
पर ‘वक्त’ बीत रहा है , “कागज” के “टुकड़े” “कमाने” के लिए…
*1. जिदंगी मे कभी भी किसी को*
*बेकार मत समझना,*
*क्योक़ि बंद पडी घडी भी दिन में*
*दो बार सही समय बताती है।*
*2. किसी की बुराई तलाश करने*
*वाले इंसान की मिसाल उस*
*मक्खी की तरह है जो सारे*
*खूबसूरत जिस्म को छोडकर*
*केवल जख्म पर ही बैठती है।*
*3. टूट जाता है गरीबी मे*
*वो रिश्ता जो खास होता है,*
*हजारो यार बनते है*
*जब पैसा पास होता है।*
*4. मुस्करा कर देखो तो*
*सारा जहाॅ रंगीन है,*
*वर्ना भीगी पलको*
*से तो आईना भी*
*धुधंला नजर आता है।*
*5..जल्द मिलने वाली चीजे*
*ज्यादा दिन तक नही चलती,*
*और जो चीजे ज्यादा*
*दिन तक चलती है*
*वो जल्दी नही मिलती।*
*6. बुरे दिनो का एक*
*अच्छा फायदा*
*अच्छे-अच्छे दोस्त*
*परखे जाते है ।*
*7. बीमारी खरगोश की तरह*
*आती है और कछुए की तरह*
*जाती है;*
*जबकि पैसा कछुए की तरह*
*आता है और.खरगोश की*
*तरह जाता है ।*
*8. छोटी छोटी बातो मे*
*आनंद खोजना चाहिए*
*क्योकि बङी बङी तो*
*जीवन मे कुछ ही होती है।*
*9. ईश्वर से कुछ मांगने पर*
*न मिले तो उससे नाराज*
*ना होना क्योकि ईश्वर*
*वह नही देता जो आपको*
*अच्छा लगता है बल्कि*
*वह देता है जो आपके लिए*
*अच्छा होता है*
*10. लगातार हो रही*
*असफलताओ से निराश*
*नही होना चाहिए क्योक़ि*
*कभी-कभी गुच्छे की आखिरी*
*चाबी भी ताला खोल देती है।*
*11. ये सोच है हम इसांनो की*
*कि एक अकेला*
*क्या कर सकता है*
*पर देख जरा उस सूरज को*
*वो अकेला ही तो चमकता है।*
*12. रिश्ते चाहे कितने ही बुरे हो*
*उन्हे तोङना मत क्योकि*
*पानी चाहे कितना भी गंदा हो*
*अगर प्यास नही बुझा सकता*
*वो आग तो बुझा सकता है।*
*13. अब वफा की उम्मीद भी*
*किस से करे भला*
*मिटटी के बने लोग*
*कागजो मे बिक जाते है।*
*14. इंसान की तरह बोलना*
*न आये तो जानवर की तरह*
*मौन रहना अच्छा है।*
*15. जब हम बोलना*
*नही जानते थे तो*
*हमारे बोले बिना
'माँ' हमारी बातो को समझ जाती थी।*
*और आज हम हर बात पर*
*कहते है छोङो भी 'माँ'*
*आप नही समझोंगी।*
*16. शुक्र गुजार हूँ*
*उन तमाम लोगो का*
*जिन्होने बुरे वक्त मे*
*मेरा साथ छोङ दिया*
*क्योकि उन्हे भरोसा था*
*कि मै मुसीबतो से*
*अकेले ही निपट सकता हूँ।*
*17. शर्म की अमीरी से*
*इज्जत की गरीबी अच्छी है।*
*18. जिदंगी मे उतार चङाव*
*का आना बहुत जरुरी है*
*क्योकि ECG मे सीधी लाईन*
*का मतलब मौत ही होता है।*
*19. रिश्ते आजकल रोटी*
*की तरह हो गए है*
*जरा सी आंच तेज क्या हुई*
*जल भुनकर खाक हो जाते।*
*20. जिदंगी मे अच्छे लोगो की*
*तलाश मत करो*
*खुद अच्छे बन जाओ*
*आपसे मिलकर शायद*
*किसी की तालाश पूरी हो।*
*****************************************
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