March 5, 2016

इच्छापूर्ति वॄक्ष

एक घने जंगल में एक इच्छापूर्ति वृक्ष था, उसके नीचे बैठ कर कोई भी इच्छा करने से वह तुरंत पूरी हो जाती थी।यह बात बहुत कम लोग जानते थे क्योंकि उस घने जंगल में जाने की कोई हिम्मत ही नहीं करता था।

एक बार संयोग से एक थका हुआ व्यापारी  उस वृक्ष के नीचे आराम करने के लिए बैठ गया उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी नींद लग गई। जागते ही उसे बहुत भूख लगी, उसने आस पास देखकर सोचा- 'काश कुछ खाने को मिल जाए !' तत्काल स्वादिष्ट पकवानों से भरी थाली हवा में तैरती हुई उसके सामने आ गई।

व्यापारी ने भरपेट खाना खाया और भूख शांत होने के बाद सोचने लगा..काश कुछ पीने को मिल जाए..तत्काल उसके सामने हवा में तैरते हुए अनेक शरबत आ गए शरबत पीने के बाद वह आराम से बैठ कर सोचने लगा-कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा हूँ।

हवा में से खाना पानी प्रकट होते पहले कभी नहीं देखा न ही सुना..जरूर इस पेड़ पर कोई भूत रहता है जो मुझे खिला पिला कर बाद में मुझे खा लेगा ऐसा सोचते ही तत्काल उसके सामने एक भूत आया और उसे खा गया।

 इस प्रसंग से आप यह सीख सकते है कि हमारा मस्तिष्क ही इच्छापूर्ति वृक्ष है आप जिस चीज की प्रबल कामना करेंगे  वह आपको अवश्य मिलेगी।अधिकांश लोगों को जीवन में बुरी चीजें इसलिए मिलती हैं क्योंकि वे बुरी चीजों की ही कामना करते हैं।

इंसान ज्यादातर समय सोचता है-कहीं बारिश में भीगने से मै बीमार न हों जाँऊ और वह बीमार हो जाता हैं !
इंसान सोचता है-मेरी किस्मत ही खराब है और उसकी किस्मत सचमुच खराब हो जाती हैं !
     
इस तरह आप देखेंगे कि आपका अवचेतन मन इच्छापूर्ति वृक्ष की तरह आपकी इच्छाओं को ईमानदारी से पूर्ण करता है! इसलिए आपको अपने मस्तिष्क में विचारों को सावधानी से प्रवेश करने की अनुमति देनी चाहिए।

यदि गलत विचार अंदर आ जाएगे तो गलत परिणाम मिलेंगे। विचारों पर काबू रखना ही अपने जीवन पर काबू करने का रहस्य है! आपके विचारों से ही आपका  जीवन या तो स्वर्ग बनता है या नरक उनकी बदौलत ही आपका जीवन सुखमय या दुख:मय बनता है.

विचार जादूगर की तरह होते है, जिन्हें बदलकर आप अपना जीवन बदल सकते है!

इसलिये सदा सकारात्मक सोच रखें.. यदि आप अच्छा सोचने लगते है तो पूरी कायनात आपको और अच्छा देने में लग जाती है। आइए आज का मंगलमय दिन बिताएं सकारात्मक एवम उत्तम विचारों के साथ..
**************************************************

March 4, 2016

वक्त की धारा !

मैंने हर रोज जमाने को,
रंग बदलते देखा है!
उम्र के साथ जिंदगी को,
ढंग बदलते देखा है !!

वो जो चलते थे,
तो शेर के चलने का होता था गुमान,
उनको भी पाँव उठाने के लिए;
सहारे को तरसते देखा है!!

जिनकी नजरों की चमक देख ,
सहम जाते थे लोग ..
उन्ही नजरों को बरसात,
की तरह रोते देखा है !!

जिनके हाथों के जरा से,
इशारे से टूट जाते थे पत्थर ..
उन्ही हाथों को पत्तों की तरह ..
थर थर काँपते देखा है!!

जिनकी आवाज़ से कभी,
बिजली के कड़कने का होता था भरम ..
उनके होठों पर भी जबरन ..
चुप्पी का ताला लगा देखा है !!

ये जवानी, ये ताकत, ये दौलत,
सब ख़ुदा की इनायत है ..
इनके  रहते हुए भी,
इंसान को बेजान हुआ देखा है !!

अपने आज पर इतना ना इतराना,
वक्त की धारा में;
अच्छे अच्छों को मजबूर हुआ देखा है !
कर सको तो किसी को खुश करो,
दुःख देते तो हजारों को देखा!!

मिली थी जिन्दगी
किसी के 'काम' आने के लिए..
पर वक्त बित रहा है
कागज के टुकड़े कमाने के लिए..
                             
क्या करोगे इतना पैसा कमा कर?
ना कफन में 'जेब' है ना कब्र में 'अलमारी'
और ये मौत के फ़रिश्ते तो
'रिश्वत' भी नहीं लेते...

खुदा की मोहब्बत को फना कौन करेगा?
सभी बंदे नेक तो गुनाह कौन करेगा?

"ए खुदा मेरे इन दोस्तो को सलामत रखना...
वरना मेरी सलामती की दुआ कौन करेगा ?
और रखना मेरे दुश्मनो को भी मेहफूस ....
वरना मेरी  तेरे पास आने की दुआ कौन करेगा ?"

खुदा ने मुझसे कहा
"इतने दोस्त ना बना तू ,
धोखा खा जायेगा"
मैने कहा "ए खुदा,
तू ये से पढनेवालो दोस्त से मिल तो सही,
तू भी धोखे से दोस्त बन जायेगा .."

नाम छोटा है मगर दिल बडा रखता हूँ |
पैसो से उतना अमीर नहीं हूँ |
मगर अपने यारो के गम खरिदने की
हैसयत रखता हूँ|

मुझे ना हुकुम का ईक्का बनना है
ना रानी का बादशाह ।
हम जोकर ही अच्छे है
जिस के नसीब में आऐंगे
बाज़ी पलट देंगे।
*************************************

March 3, 2016

अंत में हम दोनों ही होंगे !

वैवाहिक जीवन जीने वालो के लिए एक सच्चा सन्देश ---

अंत में हम दोनों ही होंगे !
भले ही झगड़े, गुस्सा करे,
एक दूसरे पर टूट पड़े,
एक दूसरे पर दादागिरी करने के लिए
अंत में हम दोनों ही होंगे !

जो कहना है, वह कह ले,
जो करना है , वह कर ले
एक दूसरे के चश्मे और लकड़ी ढूंढने के लिए
अंत में हम दोनों ही होंगे ।

में रूठूँ तो तुम मना लेना,
तुम रूठो तो में मना लूँगा,
एक दूसरे को लाड लड़ाने के लिए
अंत में हम ही होंगे ।

आँखे जब धुंधला जायेगी,
याददास्त जब कमजोर हो जायेगी,
तब एक दूसरे को, एक दूसरे में ढूंढने के लिए
अंत में हम दोनों ही होंगे ।

घुटने जब दुखने लगेंगे,
कमर भी जब झुकना बंद हो जायेगी,
तब एक दूसरे के पाँव के नाख़ून काटने के लिए
अंत में हम दोनों ही होंगे ।

मेरी हेल्थ रिपोर्ट एक दम नार्मल है,
में तो बिल्कुल ठीक हूँ,
ऐसा कह कर, एक दूसरे को बहकाने के लिए
अंत में हम दोनों ही होंगे ।

साथ जब छूट जाएगा,
विदाई की घड़ी जब आ जायेगी,
तब एक दूसरे को माफ़ करने के लिए
अंत में हम दोनों ही होंगे ।
अंत में हम दोनों ही होंगे

पति पत्नी के पवित्र बंधन पर लाखो joke बनते है,
 किन्तु सार तो यही है।
**********************************************

March 2, 2016

खिलानें वाला कभी भूखा नहीं मरता !

एक डलिया में संतरे बेचती बूढ़ी औरत से एक युवा अक्सर संतरे खरीदता।अक्सर, खरीदे संतरों से एक संतरा निकाल उसकी एक फाँक चखता और कहता,"ये कम मीठा लग रहा है, देखो !"बूढ़ी औरत संतरे को चखती और प्रतिवाद करती "ना बाबू मीठा तो है!" वो उस संतरे को वही छोड़,बाकी संतरे ले गर्दन झटकते आगे बढ़ जाता।

युवा अक्सर अपनी पत्नी के साथ होता था, एक दिन पत्नी नें पूछा "ये संतरे हमेशा मीठे ही होते हैं, पर यह नौटंकी तुम हमेशा क्यों करते हो ? "युवा ने पत्नी को एक मधुर मुस्कान के साथ बताया -"वो बूढ़ी माँ संतरे बहुत मीठे बेचती है, पर खुद कभी नहीं खाती, इस तरह मै उसे संतरा खिला देता हूँ

एक दिन, बूढ़ी माँ से, उसके पड़ोस में सब्जी बेचनें वाली औरत ने सवाल किया,-ये झक्की लड़का संतरे लेते इतनी चख चख करता है, पर संतरे तौलते हुए मै तेरे पलड़े को देखती हूँ, तुम हमेशा उसकी चख चख में, उसे ज्यादा संतरे तौल देती है! बूढ़ी माँ नें साथ सब्जी बेचने वाली से कहा- "उसकी चख चख संतरे के लिए नहीं, मुझे संतरा खिलानें को लेकर होती है, वो समझता है में उसकी बात समझती नही,मै बस उसका प्रेम देखती हूँ, पलड़ो पर संतरे अपनें आप बढ़ जाते हैं

मेरी हैसीयत से ज्यादा मेरी थाली मे तूने परोसा है
तू लाख मुश्किलें भी दे दे मालिक, मुझे तुझपे भरोसा है,
एक बात तो पक्की है की...
छीन कर खानेवालों का कभी पेट नहीं भरता
और बाँट कर खानेवाला कभी भूखा नहीं मरता!

"ऊँचा उठने के लिए पंखो की जरूरत तो पक्षीयो को पड़ती है..
इंसान तो जितना नीचे झुकता है, वो उतना ही ऊपर उठता जाता है!
***************************************

March 1, 2016

भारत का नया गीत

आओ बच्चों तुम्हे दिखायें,
शैतानी शैतान की..।
नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की..।।

बड़े-बड़े नेता शामिल हैं,
घोटालों की थाली में ।
सूटकेश भर के चलते हैं,
अपने यहाँ दलाली में ।।

देश-धर्म की नहीं है चिंता,
चिन्ता निज सन्तान की ।
नेताओं से बहुत दुखी है,
 जनता हिन्दुस्तान की..।।

चोर-लुटेरे भी अब देखो,
सांसद और विधायक हैं।
सुरा-सुन्दरी के प्रेमी ये,
 सचमुच के खलनायक हैं ।।

भिखमंगों में गिनती कर दी,
भारत देश महान की ।
नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की...।।

जनता के आवंटित धन को,
आधा मंत्री खाते हैं ।
बाकी में अफसर ठेकेदार,
मिलकर मौज उड़ाते हैं ।।

लूट खसोट मचा रखी है,
सरकारी अनुदान की ।
नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की..।

थर्ड क्लास अफसर बन जाता,
फर्स्ट क्लास चपरासी है,
होशियार बच्चों के मन में,
छायी आज उदासी है।।

गंवार सारे मंत्री बन गये,
मेधावी आज खलासी है।
आओ बच्चों तुम्हें दिखायें,
शैतानी शैतान की..।

नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की..।