March 4, 2016

वक्त की धारा !

मैंने हर रोज जमाने को,
रंग बदलते देखा है!
उम्र के साथ जिंदगी को,
ढंग बदलते देखा है !!

वो जो चलते थे,
तो शेर के चलने का होता था गुमान,
उनको भी पाँव उठाने के लिए;
सहारे को तरसते देखा है!!

जिनकी नजरों की चमक देख ,
सहम जाते थे लोग ..
उन्ही नजरों को बरसात,
की तरह रोते देखा है !!

जिनके हाथों के जरा से,
इशारे से टूट जाते थे पत्थर ..
उन्ही हाथों को पत्तों की तरह ..
थर थर काँपते देखा है!!

जिनकी आवाज़ से कभी,
बिजली के कड़कने का होता था भरम ..
उनके होठों पर भी जबरन ..
चुप्पी का ताला लगा देखा है !!

ये जवानी, ये ताकत, ये दौलत,
सब ख़ुदा की इनायत है ..
इनके  रहते हुए भी,
इंसान को बेजान हुआ देखा है !!

अपने आज पर इतना ना इतराना,
वक्त की धारा में;
अच्छे अच्छों को मजबूर हुआ देखा है !
कर सको तो किसी को खुश करो,
दुःख देते तो हजारों को देखा!!

मिली थी जिन्दगी
किसी के 'काम' आने के लिए..
पर वक्त बित रहा है
कागज के टुकड़े कमाने के लिए..
                             
क्या करोगे इतना पैसा कमा कर?
ना कफन में 'जेब' है ना कब्र में 'अलमारी'
और ये मौत के फ़रिश्ते तो
'रिश्वत' भी नहीं लेते...

खुदा की मोहब्बत को फना कौन करेगा?
सभी बंदे नेक तो गुनाह कौन करेगा?

"ए खुदा मेरे इन दोस्तो को सलामत रखना...
वरना मेरी सलामती की दुआ कौन करेगा ?
और रखना मेरे दुश्मनो को भी मेहफूस ....
वरना मेरी  तेरे पास आने की दुआ कौन करेगा ?"

खुदा ने मुझसे कहा
"इतने दोस्त ना बना तू ,
धोखा खा जायेगा"
मैने कहा "ए खुदा,
तू ये से पढनेवालो दोस्त से मिल तो सही,
तू भी धोखे से दोस्त बन जायेगा .."

नाम छोटा है मगर दिल बडा रखता हूँ |
पैसो से उतना अमीर नहीं हूँ |
मगर अपने यारो के गम खरिदने की
हैसयत रखता हूँ|

मुझे ना हुकुम का ईक्का बनना है
ना रानी का बादशाह ।
हम जोकर ही अच्छे है
जिस के नसीब में आऐंगे
बाज़ी पलट देंगे।
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