1.रसायन शास्त्र में,
→उसने पानी को दाखरस बना दिया।
2.जीव विज्ञान में,
→वह सामान्य गर्भाधान के बिना पैदा हुआ।
3.भौतिक विज्ञान में,
→उसने गुरुतवाकर्षण के नियम को तोड़कर स्वर्ग में चढ़ा;
4.अर्थशास्त्र में,
→उसने ह्रासमान के नियम को तोड़ा और 2 मछलियों और 5 रोटियों से 5000 लोगों को खाना खिलाया।
5.चिकित्सा में,
→उसने बिना दवाई के बीमारों और अंधों को ठीक किया।
6.इतिहास में
→वह आदि और अंत है।
7.सरकार में
→उसने कहा कि वह अद्भुत युक्तिकरनेवाला और शांति का राजकुमार कहलायेगा।
8.धर्म में
→उसने कहा कि उसके बिना कोई भी पिता के पास नहीं पहुँच सकता।
→वह इतिहास में सबसे महान है।
→यीशु के पास दास नहीं थे फिर भी लोग उसे स्वामी कहते थे।
→उसके पास कोई डिग्री नहीं थी फिर भी लोग उसे गुरु कहते थे।
→उसके पास कोई दवाई नहीं थी फिर भी लोग उसे चिकित्सक कहते थे।
→उसके पास कोई सेना नहीं थी फिर भी राजा उससे डरते थे।
→उसने कोई युद्ध नहीं जीत फिर भी उसने संसार पर विजय पायी।
→उसने कोई अपराध नहीं किया फिर भी लोगों ने उसे क्रूस पर चढ़ा दिया।
→वह गुफ़ा में दफनाया गया फिर भी वह आज जीवित है।
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→उसने पानी को दाखरस बना दिया।
2.जीव विज्ञान में,
→वह सामान्य गर्भाधान के बिना पैदा हुआ।
3.भौतिक विज्ञान में,
→उसने गुरुतवाकर्षण के नियम को तोड़कर स्वर्ग में चढ़ा;
4.अर्थशास्त्र में,
→उसने ह्रासमान के नियम को तोड़ा और 2 मछलियों और 5 रोटियों से 5000 लोगों को खाना खिलाया।
5.चिकित्सा में,
→उसने बिना दवाई के बीमारों और अंधों को ठीक किया।
6.इतिहास में
→वह आदि और अंत है।
7.सरकार में
→उसने कहा कि वह अद्भुत युक्तिकरनेवाला और शांति का राजकुमार कहलायेगा।
8.धर्म में
→उसने कहा कि उसके बिना कोई भी पिता के पास नहीं पहुँच सकता।
→वह इतिहास में सबसे महान है।
→यीशु के पास दास नहीं थे फिर भी लोग उसे स्वामी कहते थे।
→उसके पास कोई डिग्री नहीं थी फिर भी लोग उसे गुरु कहते थे।
→उसके पास कोई दवाई नहीं थी फिर भी लोग उसे चिकित्सक कहते थे।
→उसके पास कोई सेना नहीं थी फिर भी राजा उससे डरते थे।
→उसने कोई युद्ध नहीं जीत फिर भी उसने संसार पर विजय पायी।
→उसने कोई अपराध नहीं किया फिर भी लोगों ने उसे क्रूस पर चढ़ा दिया।
→वह गुफ़ा में दफनाया गया फिर भी वह आज जीवित है।
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जिस पल आपकी मृत्यु हो जाती है, उसी पल से आपकी पहचान एक "बॉडी" बन जाती है। अरे "बॉडी" लेकर आइये, "बॉडी" को उठाइये, "बॉडी" को सूलाइये ऐसे शब्दो से आपको पूकारा जाता है, वे लोग भी आपको आपके नाम से नही पुकारते , जिन्हे प्रभावित करने के लिये आपने अपनी पूरी जिंदगी खर्च कर दी।
इसीलिए निर्मिती" को नही निर्माता" को प्रभावित करने के लिये जीवन जियो।जीवन मे आने वाले हर चूनौती को स्वीकार करे।अपनी पसंद की चिजो के लिये खर्चा किजिये।इतना हंसिये के पेट दर्द हो जाये।आप कितना भी बूरा नाचते हो,फिर भी नाचिये। उस खूशी को महसूस किजिये।फोटोज् के लिये पागलों वाली पोज् दिजिये।बिलकुल छोटे बच्चे बन जायिये।
क्योंकि मृत्यु जिंदगी का सबसे बड़ा लॉस नहीं है।लॉस तो वो है के आप जिंदा होकर भी आपके अंदर जिंदगी जीने की आस खत्म हो चूकी है।
हर पल को खूशी से जीने को ही जिंदगी कहते है।
"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं,
"काम में खुश हूं," आराम में खुश हू,
"आज पनीर नहीं," दाल में ही खुश हूं,
"आज गाड़ी नहीं," पैदल ही खुश हूं,
"दोस्तों का साथ नहीं," अकेला ही खुश हूं,
"आज कोई नाराज है," उसके इस अंदाज से ही खुश हूं,
"जिस को देख नहीं सकता," उसकी आवाज से ही खुश हूं,
"जिसको पा नहीं सकता," उसको सोच कर ही खुश हूं,
"बीता हुआ कल जा चुका है," उसकी मीठी याद में ही खुश हूं,
"आने वाले कल का पता नहीं," इंतजार में ही खुश हूं,
"हंसता हुआ बीत रहा है पल," आज में ही खुश हूं,
"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं,
अगर दिल को छुआ, तो जवाब देना,
वरना बिना जवाब के भी खुश हूं.!!
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किसी शायरने मौत को क्या खुब कहा है;
जिंदगी मे २ मिनट कोई मेरे पास ना बैठा.,
आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे.
कोई तौफा ना मिला आज तक
और आज फुल हि फुल दिये जा रहे थे.
तरस गये थे हम किसी एक हाथ के लिये,
और आज कंधे पे कंधे दिये जा रहे थे.
दो कदम साथ चलने को तैयार न था कोई,
और आज काफिला बन साथ चले जा रहे थे.
आज पता चला मुझे कि "मौत" कितनी हसिन होती है..
कम्बख्त. हम तो युहि जिंदगी' जिये जा रहे थे !
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किसी ने पूछा, "जीवन क्या है?"
एक उत्तम उत्तर....जब मनुष्य जन्म लेता है तो उसके पास सांसे तो होती हैं पर कोई नाम नहीं होता और जब मनुष्य की मृत्यु होती है तो उसके पास नाम तो होता है पर सांसे नहीं होती। इसी सांसे और नाम के बीच की यात्रा को "जीवन" कहते हैं।
न किसी के अभाव में जियो,
न किसी के प्रभाव में जियो।
यह जिंदगी है आपकी,
अपने स्वभाव में जियो।
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The _difference_ between a *wedding* and a
*funeral* beautifully captured in a _poem_ called :
*farq sirf itna sa tha*
teri *doli* uthi,
meri *mayyat* uthi,
phool _tujh_ par bhi barse,
phool _mujh_ par bhi barse,
*farq sirf itna sa tha...
tu _saj_ gayi,
mujhe _sajaya_ gaya..
_tu_ bhi ghar ko chali,
_main_ bi ghar ko chala,
*farq sirf itna sa tha...
tu _uth_ ke gayi,
mujhe _uthaya_ gaya...
*mehfil* wahan bhi thi,
*log* yahan bhi the,
*farq sirf itna sa tha..
unka _hasna_ wahan,
inka _rona_ yahan..
*qazi* udhar bhi tha,
*moulvi* idhar bhi tha,
do bol _tere_ padhe,
do bol _mere_ padhe,
tera *nikaah* padha,
mera *janaaza* padha,
*farq sirf itna sa tha..
tujhe *apnaya* gaya,
mujhe *dafnaaya* gaya.
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मैं रूठा, तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन?
आज दरार है, कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन?
मैं चुप, तुम भी चुप
इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन?
बात छोटी को लगा लोगे दिल से,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन?
दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर,
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन?
न मैं राजी, न तुम राजी,
फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन?
डूब जाएगा यादों में दिल कभी,
तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन?
एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन?
ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए?
फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन?
मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें.
तो कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन?
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