हसीन पल
तौफा ना दिया मेरे जन्मदिन पर, किसी ने मुझे आज तक,
मेरी मौत पर आज सब मुझे, फूल ही फूल दिये जा रहे थे।
तरस गये थे जिन्दगी में हम किसी के, दो हाथों के सहारे के लिये,
मेरी मौत पर वो आज सभी, हमें कंधे पे कंधे दिये जा रहे थे।
दो कदम मेरे जिन्दगी में चलने को, कोई हमसफर न मिला था ,
आज वो काफिलो की भीड बन, मेरे ताबूत के साथ चले आ रहे थे।
आज पता चला हमें कि, "मौत" कितनी हसीन है,
वरना कम्बख्त हम तो यूं ही,बेकार की जिंदगी' जिये जा रहे थे !
फादर विन्सेन्ट सालबातोरी
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