September 21, 2024

अन्तिम विदाई!

मिट्टी ओढना, मिट्टी बिछौना, मिट्टी का है सिरहना,
एक दिन बन्दे ऐसा होगा, मिट्टी में मिल जाना।
चार लोग मिल ताबूत उढाए, कर्ब़ तक यात्रा में लाए,
सात फिट और तीन फिट का, गहरे गढे में छोड आए।
आसूं बहाए, फूल चढायें, मोमबती और अगरबत्ती जलाऐं,
प्रार्थना कर आत्मा की शान्ति का,उदास मन से घर लौट आऐ
रात को सोते समय, अंतकरण से एक आवाज आयी,
आज हमारी बारी थी, तो कल तुम्हारी भी होगी।
देर न कर, सोच न अब तू, कर अच्छी तैयारी बस तू,
चाल बदल ले, ढाल बदल ले, ईश मार्ग का राह पकड ले।
मोहमाया को त्याग दे अब तू, खाली हाथ ही जाना होगा,
जेब न होगा कफन मेॅ तेरी, एटीएम भी साथ न होगा।
जीवन मेॅ जो कमाया तुमने, अपने चरित्र की कमाई से,
उसी से तू अमर बनेगा, सब के दिल पर राज्य करेगा।
नहीॅ मरेगा मर कर भी तू, याद रहेगा हर दिल मेॅ तू,
प्यार से रहना सीख गया जो, वही अमर बन याद रहेगा।
फादर विन्सेन्ट सालबातोरी

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