जीवन से जो
भी मिले, उसे
पचाना सीखो..
क्योंकि भोजन ना पचने
पर चर्बी बढ़ती
है.
पैसा ना पचने
पर दिखावा बढ़ता
है..
बात ना पचने
पर चुगली बढ़ती
है..
प्रशंसा ना पचने से
अहंकार बढ़ता है..
निंदा ना पचने
पर दुश्मनी बढ़ती
है..
राज़ ना पचने
पर खतरा बढ़ता
है..
दुख ना पचने
पर निराशा बढ़ती
है..
और सुख ना
पचने पर पाप
बढ़ता है..
कड़वा है, किन्तु
सत्य है यह.
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